Pseudo Heart - चले जा रहा हू 27-july-08
   
 
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चले जा रहा हू


में एक गलती की सजा पा रहा हू
महोब्त के पथ पर ठोकर खा रहा हू
ठोकर से मत खबरा,यह दिल को समझा रहा हू
बेखोफ हो कर चले जा रहा हु

न घर है न ठिकाना, मुझे तो बस चलते जाना
मँजिल तो पता है , लेकिन कैसे है उसे पाना
मिले गी मँजिल यह दिल को समझा रहा हू
गुमसुम ाअंधेरे मे तेरा नाम लिये चले जा रहा हू

दुनियाँ ने मुझे रोका, इस जग ने मुझे टोका
कह्ते हैं रुक जा , वरना पायें गा धोका
प्यार के बीज फिर भी दिल मे पनपा रहा हू
मिलेगा मुकदर का, फिर भी चले जा रहा हू

जानता हू हैं मुस्किल यू तुझको पाना
करता हू महोब्त ,मुस्किल हैं तुझको समझाना
प्यार के शोले दिल में सुलगा रहा हू
होगा सवेरा यही सोच कर में चले जा रहा हू ,चले जा रहा हू 
                                                                           --  सुनील हन्सु 
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